प्रभु श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या

आज राम नवमी के पावन पर्व पर आप सभी को ढ़ेरों शुभकामनाएं। इस पुनीत अवसर पर मैं आज आपको ले कर चल रहा हूँ प्रभु श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या। विश्व की प्राचीनतम स्थलों में से एक, अयोध्या हिंदुओं के लिए गहरी आस्था व श्रद्धा का महत्वपूर्ण केंद्र है।

उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद ज़िले में स्थित अयोध्या जी को साकेत के नाम से भी जाना गया है। अयोध्या जी की गणना हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भारत वर्ष के सात पवित्र नगरों में की जाती है। अन्य छह हैं- मथुरा, उज्जैन, वाराणसी, द्वारका, हरिद्वार व कांचीपुरम। ईश्वर की अनुकंपा से मुझे इन सातों शहरों में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

आज के कलयुग में प्रभु श्री राम का नाम ही केवल ऐसा है जो हमें भव सागर से पार लगा सकता है। इसीलिए कहा गया है:

कलयुग केवल नाम अधारा ।।
सुमिरि सुमिरि नर उतरहिं पारा।।

अयोध्या में राम लला अब टेंट से निकल कर अस्थाई मंदिर में विराज चुके हैं और जल्द ही मंदिर निर्माण के बाद भव्य तरीके से एक अत्यंत भव्य नव निर्मित मंदिर में स्थापित हो जाएंगे।

वर्ष 1998 यानि की 22 वर्ष पूर्व सबसे पहली बार मुझे अयोध्या जी की पावन भूमि पर नमन करने का अवसर प्राप्त हुआ उसके बाद वर्ष 2011 में पुनः परिवार सहित जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अयोध्या जी में मुख्य जन्मभूमि के अलावा हनुमान गढ़ी एक प्रमुख आस्था का केंद्र है ऐसा माना जाता है की हनुमान जी स्वयं यहां निवास करते थे और यहीं से “रामकोट” (यानि वो स्थान जहाँ प्रभु श्री राम निवास करते थे), की सुरक्षा में लीन रहते थे।

कनक भवन में प्रभु श्री राम जी, माँ जानकी व लक्ष्मण जी संग विराजे हैं। ये कनक भवन माता कैकई ने राम जी को भेंट स्वरूप प्रदान किया था। झुनकी घाट से सरयू का नज़ारा भाव विभोर कर देता है। सरयू के तट पर बसी अयोध्या नगरी में जल्द ही अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट भी आ रहा है। लक्ष्य ये है की जैसे ही नव मंदिर का निर्माण कार्य सम्पूर्ण हो साथ ही नया एयरपोर्ट भी देसी विदेशी श्रद्धालुओं के लिए तैयार हो।

अयोध्या जी में गुप्तार घाट अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ से सरयू का नज़ारा नयनाभिराम है। लेकिन ये स्थल इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी घाट से सरयू जी में जल समाधि ले के कर प्रभु श्री राम लोप हुए थे। यहाँ प्रभु श्री राम व सीता माता का एक मंदिर भी है। यहाँ नौकायन की सुविधा भी उपलब्ध है, जिसके द्वारा आप सरयू के पार भी जा सकते हैं। हर हिन्दू का स्वप्न होता है की अपने जीवनकाल में एक बार प्रभु श्री राम की पावन, पवित्र भूमि पर एक बार तो नमन करने का अवसर अवश्य मिले।

आज के इस ब्लॉग के साथ ही मेरी नवरात्र सीरीज को मैं यहीं विराम देता हूँ। आशा है मेरे प्रयास से आपको कोई नई जानकारी अवश्य मिली होगी और आशा करता हूँ इन स्थलों पर जाने की प्रेरणा भी आपको अवश्य ही मिली होगी। मैं इन पंक्तियों के साथ आज के ब्लॉग को विराम देता हूँ।

राम जिनका नाम है
अयोध्या जिनका धाम है
ऐसे रघुनंदन को
हमारा प्रणाम है।

जय श्री राम।

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