1962 के भारत चीन युद्ध के एक नायक मेजर धन सिंह थापा की पुण्यतिथि।

आज 1962 के भारत चीन युद्ध के एक नायक मेजर धन सिंह थापा की पुण्यतिथि है। धन सिंह थापा जी जन्म 10 अप्रैल 1928 को शिमला में हुआ था और 77 वर्ष की आयु में 5 सितंबर 2005 को उन्होंने बैकुंठ धाम कि ओर प्रस्थान किया।

आज उनकी पुण्यतिथि पर आपको उनकी शौर्य गाथा से परिचित करवा रहा हूँ।

1962 के भारत-चीन युद्ध का एक केंद्र था चुशूल, जहां एक ओर लेह की ऊँचाई समुद्र तल से 10,000 फीट की है, वहीं चुशूल की ऊँचाई 14,231 फीट की है। कई जगह तो ऊँचाई 15,000 से 17,000 फीट तक चली जाती है। इसी चुनौतीपूर्ण क्षेत्र के एक हिस्से की सुरक्षा का ज़िम्मा मेजर धनसिंह थापा 1/8 गोरखा राइफल्स को सौंपा गया।

चीन इस क्षेत्र में कई वर्षों से सड़कों और पोस्टों का निर्माण कर रहा था। वहीं एक ओर हमारे नेता चीन पर आँखें बंद करके विश्वास कर रहे थे। फिर वही हुआ, जिसका डर था। 20 अक्टूबर,1962 चीनी हमला हो गया। मेजर थापा और उनके साथी जवानों ने उस हमले का मुँहतोड़ जवाब दिया। हालाँकि चीन की ताकत और तैयारी को देखते हुए यह आभास हो गया था कि हम युद्ध नहीं जीत सकते। फिर भी, मेजर धनसिंह थापा ने हौसला नहीं छोड़ा और अंत तक डटे रहे। चीनी सैनिक उनको युद्धबंदी बनाकर साथ ले गए, पर उन्होंने वहाँ भी अपना मुँह नहीं खोला। अंततः उनको छोड़ दिया गया।

अपनी शूरवीरता के लिए मेजर धनसिंह थापा को ‘परम वीर चक्र’ से सम्मानित किया गया। वर्ष 2018 में मुझे पांगोंग झील के उत्तरी छोर पर स्थित उस चौकी को देखने का सुअवसर मिला जहां से मेजर धन सिंह थापा ने चीनियों को कड़ी चुनौती दी थी।

ऋणी राष्ट्र कि ओर से मेजर धन सिंह थापा को शत शत नमन।

ऋषि राज

साभार

देशभक्ति के पावन तीर्थ

प्रभात प्रकाशन

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