आज एक ऐसे देशभक्त व कर्त्तव्य परायण नेता को याद करने का दिन है जिन्हें अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए सदैव याद रखा जाता है। और सदा याद रखा जाएगा। जी हां, मैं बात कर रहा हूं, गुदड़ी के लाल,
श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की। आज उनकी जन्म जयंती है।
शास्त्री जी का जन्म अपने नाना जी के तत्कालीन आवास मुगलसराय में हुआ था। कक्षा पांच तक कि पढ़ाई मुगलसराय में हुई, इस दौरान रामनगर (वाराणसी) आना- जाना लगा रहा। कक्षा 6 में पढ़ने वाराणसी चले आये, आज़ादी की लड़ाई की वजह से हाईस्कूल की पढ़ाई मिर्जापुर से हुईं। इसके पश्चात पुनः वाराणसी आकर शास्त्री की पढ़ाई पूरी की।
1904 से 1925 तक शास्त्री जी का रामनगर अपने पैतृक आवास पर आना-जाना व रहना बराबर बना रहा। मैं सौभाग्यशाली हूँ मुझे रामनगर (वाराणसी) में बने उनके पैतृक निवास पर नमन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने अपने जीवनकाल रेलमंत्री एवं गृह मंत्री पद पर रह चुके हैं। इन्होने ही देश को भारत पाकिस्तान 1965 युद्ध के दौरान “जय जवान जय किसान” का नारा दिया था।
ये युद्ध 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौते में औपचारिक रूप से खत्म हुआ, और अगले ही दिन यानि 11 जनवरी 1966 को इनकी मृत्यु हो गई। इनकी मृत्यु कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से हुई परंतु लोग उनकी मौत को साज़िश का आरोप भी लगाते हैं।
पिछले दिनों एक फ़िल्म आई थी ताशकंद फाइल्स ये फ़िल्म आंखें खोल देती हैं और शास्त्री जी की मृत्यु से जुड़े तमाम पहलुओं को बड़ी ही बारीकी से दिखाती है। मेरे हिसाब से ये फ़िल्म हर देशवासी को अवश्य देखनी चाहिए।
निजी तौर पर लाल बहादुर शास्त्री मेरे सबसे प्रिय राजनेता रहें हैं, इनका जीवन आज भी हम सभी को प्रेरणा देता है। इनकी सादगी, ईमानदारी, राष्ट्रभक्ति, एवं कर्तव्य परायणता का ज्वलंत उदाहरण किसी अन्य व्यक्तित्व में दिखाई नही पड़ता।
ऋणी राष्ट्र की ओर से इस गुदड़ी के लाल श्री लाल बहादुर शास्त्री को शत शत नमन।
जय हिंद।