भारत के प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस

मित्रों आज यानि की 30 दिसंबर के दिन वर्ष 1943 को अविभाजित भारत के प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान की पुण्य धरती पर तिरंगा फहराया था। ये तो आपको मालूम ही होगा कि हमारे देश को आज़ाद करवाने के लिए करीब साढे सात लाख वीरों ने अपनी जान कुर्बान कर दी थी, हमें इस तथ्य को कभी भी विस्मृत नही करना है। समय समय पर उन्हें याद करते रहना, आज की पीढ़ी से उनका परिचय करवाते रहना हम सभी का कर्तव्य है।

आज़ाद हिन्द फ़ौज का हर सिपाही देश पर अपना सर्वस्व लुटाने के लिए प्रतिबद्ध था। इसी प्रतिबध्दता के चलते जापानियों ने अंडमान का कब्ज़ा आज़ाद हिन्द फ़ौज को सौंप दिया। सुभाष बाबू ने 30 दिसंबर 1943 को तिरंगा फहरा कर अंग्रेजी हुकूमत को अपने बुलंद इरादों को ज़ाहिर कर दिया। पिछले वर्ष इस अविस्मरणीय घटना की हीरक जयंती मनाई गयी जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं अंडमान जा कर भारत के इतिहास के इस स्वर्णिम अध्याय में 150 फ़ीट ऊंचा तिरंगा फहरा कर नया इतिहास रच डाला। इसके अलावा अंडमान के तीन द्वीपों रॉस द्वीप का सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप का शहीद द्वीप और हेवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप कर दिया।

वर्ष 2012 में मुझे भी इस पुनीत स्थान पर नमन करने का अवसर प्राप्त हुआ।

आज का दिन समर्पित है उन वीर सपूतों की स्मृति में नमन करने का उन्हें श्रद्धांजलि देने का जिन्होंने देश को आज़ादी दिलवाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

जय हिन्द।

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