आज की सुबह का आगाज़ करते हैं एक ऐसे वीर को नमन कर जिन्होंने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बिगुल बजाया और देश की पहली सशस्त्र क्राँति को अंजाम दिया जो देश की स्वतंत्रता में मील का पत्थर साबित हुई।
*इस हुतात्मा का नाम है मंगल पांडेय। मंगल पांडेय का जन्म आज ही के दिन यानि कि 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ।*
वर्ष 2016 में मुझे कोलकाता के पास बैरकपुर जाने का अवसर प्राप्त हुआ ये एक एतिहासिक स्थान है जहाँ भारतीय क्रांति की चिंगारी को भड़काने वाले क्रांतिकारी मंगल पांडे को अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था. यह छावनी अंग्रेजों द्वरा भारत में स्थापित पहली सैनिक छावनी थी.
मंगल पांडे अंग्रेजों की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री की पैदल सेना में सिपाही थे और बैरकपुर में नियुक्त थे. 20 मार्च 1857 को सैनिकों को एक नए प्रकार की एन्फ़िलड की बंदूकें दी गयी जिसमे नए प्रकार के कारतूस दिए गए जिन्हें खोलने के लिए मुह से लगा कर दांतों का प्रयोग करना पड़ता था. यही बात हिन्दू ब्राहमण परिवार में जन्मे मंगल पांडे को चुभ गयी और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजा दिया. कई इतिहासकार इसे मात्र बगावत मानते हैं जबकि अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध ये पहली सशस्त्र क्रांति थी.
जहाँ मंगल पांडे को फांसी दी गयी वो स्थान बैरकपुर की पुलिस अकादमी के अन्दर है. यहाँ उस जगह को देख कर रोंगटे खड़े हो गए और वो दृश्य मानस पटल पर अंकित होने लगे के कैसे मंगल पांडे अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता का शिकार हुए होंगे.
ऋणी राष्ट्र की ओर से मंगल पांडेय को शत शत नमन।