बीती शाम एक ऐसी शख्सियत से रूबरू होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जो सही मायनों में महानायक हैं। 85 वर्षीय कर्नल नरेंद्र “बुल” कुमार 1965 में भारत के प्रथम विजेता एवेरेस्ट दल के डिप्टी लीडर थे। इसके अलावा कर्नल साहब ने कई सारी चोटियाँ फतेह की हैं, जिसमें भारत की सबसे ऊंची व विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी “कंचनजंगा” भी शामिल है। ये एक मात्र ऐसे अधिकारी हैं जिन्हें कर्नल रैंक में परम वशिष्ठ सेवा मेडल से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा इन्हें कीर्ति चक्र, पदम श्री, अति वशिष्ठ सेवा मैडल व अर्जुन पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है।
इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि इन्होंने सियाचिन का बड़ा भाग पाकिस्तान के हाथ जाने से रोक दिया। आज सियाचिन का बड़ा भू भाग हमारे पास केवल और केवल कर्नल कुमार की बदौलत ही है। मैंने जब इनको अपनी पुस्तक भेंट की तो इन्होंने भी तुरंत मुझे अपने कंचनजंगा की फतेह की कहानी बताती अपनी पुस्तक भेंट में दी, जो मेरे लिए अनमोल है।
सेना के इस वीर और भारत माता के पुत्र को ईश्वर लंबी आयु व स्वस्थ जीवन प्रदान करें।
जय हिंद।