पुण्यतिथि – ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी जी

आज भारत माता के महान सपूत ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी की पुण्य तिथि है। अपने युद्ध कौशल के दम पर एक ही रात में ब्रिगेडियर चांदपुरी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटा दी और युद्ध की तस्वीर बदल कर रख दी और अपना नाम भारत के सैन्य इतिहास में सदा सदा के लिए अंकित करवा लिया।

मई 2018 में ही मुझे ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी के आवास पर उनके चरण स्पर्श करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. ब्रिगेडियर चांदपुरी 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में लोंगेवाला क्षेत्र में तैनात थे. अपनी शूरवीरता व् अद्मय साहस की बदौलत उन्होंने पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए थे, और इस महत्वपूर्ण युद्ध में भारत को विजय दिलवाने में विशेष योगदान दिया. ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का जन्म, 22 नवंबर 1940 को अविभाजित पंजाब के मिंटगुमरी नामक स्थान पर हुआ ।

मशहूर फिल्म निर्माता जे.पी. दत्ता ने सनं 1971 की भारत पाकिस्तान जंग पर एक फिल्म बनाई थी- ‘बॉर्डर’। इस फिल्म में जो किरदार सनी देओल ने निभाया है, असल जिंदगी में वह ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने निभाया था. 23 पंजाब रेजिमेंट के इस मेजर(उस समय मेजर के पद पर कार्यरत) ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान की रणनीति को विफल कर देश के प्रति अपना फ़र्ज़ अदा किया । अपने इसी साहसिक कारनामे की वजह से मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को महावीर चक्र प्रदान किया गया । अब मैं आपको इस युद्ध की गाथा विस्तार से बताता हूँ।

भारत का ध्यान पूर्वी मोर्चे यानी कि बांग्लादेश से हटाने के लिए पाकिस्तान ने जैसलमेर से आगे लोंगेवाला की ओर अपनी सेना को बढ़ाना शुरू कर दिया । पाकिस्तान की यह चाल थी कि चूंकि भारत ने अपनी पूरी सैन्य शक्ति बांग्लादेश में लगा रखी है, इसलिए चुपके से पश्चिमी सरहद पर आक्रमण कर, वहां कब्ज़ा कर भारत को बांग्लादेश से पीछे हटाने पर बाध्य करना था । 4 – 7 दिसंबर, 1971 तक इस मोर्चे पर पाकिस्तान हमला करता रहा । जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया । लोंगेवाला सेक्टर में भारत के केवल 120 सैनिक ही तैनात थे और पाकिस्तान के पास थे चीन द्वारा दिए गए 65 टी – 59 टैंक और 2000 सैनिकों की विशाल सेना । पर हौसले भारतीय जवानों के ही बुलंद थे । पंजाब रेजिमेंट की ओर से मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी तैनात थे और यहां से 17 किलोमीटर आगे साडेवाला में लेफ्टिनेंट धरमवीर की तैनाती थी।

पाकिस्तानी सेना ने रात को धावा बोला था, क्योंकि वह जानते थे कि रात में वायु सेना का प्रयोग नहीं हो सकता. अतः भारत के लिए यह बहुत जरूरी था कि किसी तरह रात में पाकिस्तानी सेना को सुबह तक रोके रखें. अगर कुलदीप सिंह चांदपुरी और लेफ्टिनेंट धरमवीर पाकिस्तानी सेना को नहीं रोक पाते तो पाकिस्तानी सेना सुबह होने से पहले ही जैसलमेर हवाई पट्टी तक पहुंच जाती और फिर जो काम भारतीय वायु सेना ने कर दिखाया, वह शायद कभी देखने को ही न मिलता । इससे अप इस कार्य के महत्व का अंदाजा लगा सकते हैं । सीमा सुरक्षा बल का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान रहा । इस युद्ध में भारतीय वायु सेना ने भी कमाल कर दिखाया । विंग कमांडर एम एस बावा जिन्हें लोग प्यार से “मिन्नी” पुकारते हैं, स्क्वाड्रन लीडर रविंद्रनाथ बाली, स्क्वॉड्रन लीडर दिलीप कुमार दास और फ्लाइट लेफ्टिनेंट रमेश चंद्र शाह ने अपने साथियों के साथ मिलकर विमानों से ऐसी अचूक बमबारी की, जिससे दुश्मन हिल गया। चंद घंटों में ही भारतीय वायु सेना ने पूरे युद्ध की तस्वीर पलट कर रख दी । सौभाग्यवश, हमारे बड़े भैया श्री रवि सोनी जी अगस्त 1971 से जैसलमेर में ही तैनात थे और जैसलमेर के एयर बेस को तैयार करने में उनके कमांडिंग अफसर फ्लाइट लेफ्टिनेंट आर के शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान था। पाकिस्तान जहां अपने 2000 सैनिकों के दम पर नाश्ता लोंगेवाला, दोपहर का खाना रामगढ़, रात्रि भोजन जैसलमेर में करने के मंसूबे बना रहा था, उसको भारतीय वायु सेना के जांबाज़ सिपाहियों ने चकनाचूर कर दिया। पाकिस्तानियों के सारे ख्वाब धूल चाटने लगे। पाकिस्तान ने सपने में भी नहीं सोचा था कि चीन से मिले शक्तिशाली टी-59 टैंक को भारतीय वायु सेना पल में ही दो टुकड़ों में विभाजित कर देगी। भारतीय वायु सैनिकों की बहादुरी ने पाकिस्तान के 34 टैंक नेस्तोनाबूद कर दिए ।जय हिन्द।

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