करतार सिंह सराभा को ऋणी राष्ट्र की ओर से शत शत नमन।

आज एक ऐसे शूरवीर क्रांतिकारी की जन्म जयंती है जिन्होंने मात्र 19 वर्ष की आयु में देश के लिए फाँसी के फंदे को चूम लिया। इनका नाम था, करतार सिंह सराभा। जब मैं अपनी पुस्तक “देश भक्ति के पावन तीर्थ” की रचना कर रहा था और तमाम क्रांतिकारियों पर शोध कर रहा था तब मुझे करतार सिंह सराभा के बारे में पता चला और उनके जीवन से मैं भी अत्यंत प्रभावित हुआ।

इनका जन्म आज ही के दिन यानि कि 24 मई 1896 को लुधियाना के सराभा गांव में हुआ।

मैं ये जान कर स्तब्ध रह गया कि वर्ष 1912 में वो अमेरिका के सान फ्रांसिस्को पढ़ने गए और ग़दर पार्टी के संपर्क में आ गए। 16 वर्ष की आयु में युवा जब अपने स्वर्णिम भविष्य का ताना बाना बुन रहे होते हैं, तब ये युवक, देश को कैसे आज़ाद करवाना है-उसकी योजनाएं बना रहा था। अलग ही मिट्टी का बना था भारत माता के ये शेर। अपने दृढ़ निश्चय और देश के प्रति असीम भक्ति के कारण माँ भारती को ग़ुलामी की जंजीरों से मुक्त करवाने की नित नई योजनाएं तैयार करने लगे और देश को हर हाल में अंग्रेजों के क्रूर शासन से मुक्त करवाने का प्रण ले लिया।

भारत वापिस आ गए और अपना जीवन माँ भारती को समर्पित कर दिया। शहीद ए आज़म भगत सिंह उनसे इतना प्रभावित थे कि उनकी तस्वीर सदैव अपने पास रखते थे।

इनकी क्रान्तिकारी गतिविधियों ने अंग्रेजी सरकार की नींद हराम कर दी और फिर अन्त: 1915 में गोरी सरकार ने सराभा को 19 वर्ष की छोटी सी आयु में ही फाँसी पर चढ़ा दिया।

इस हुतात्मा को ऋणी राष्ट्र की ओर से शत शत नमन।

जय हिन्द।

Leave a Reply