अपनी अरुणाचल प्रदेश यात्रा के दौरान जब मैं सीमा से बिल्कुल सटे क्षेत्र बुमला की ओर जा रहा था, तो वहां इस छोटे से युद्ध स्मारक के बारे में जाना। ये स्मारक छोटा अवश्य है, लेकिन गवाह है, एक ऐसी वीर गाथा का, जिसे लिखा था, शूरवीर सूबेदार जोगेंदर सिंह जी ने।
आज ही का वो दिन था जब दुश्मन की चुनौती का मुंह तोड़ जवाब देते हुए वो इसी धरती पर शहीद हो गए। अपने पराक्रम के दम पर उन्होंने 50 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। इस अति असाधारण वीरता के प्रदर्शन के लिए उन्हें परमवीर चक्र (मरणोंपरांत) से सम्मानित किया गया। जय हिंद।
अगर आप इस क्षेत्र के बारे में जानना चाहते हैं तो मेरी तवांग वीडियो को देख सकते हैं।