आज कारगिल युद्ध के एक नायक कैप्टन केनगुरुसे (महावीर चक्र) की जन्म जयंती है। 2 राजपुताना राइफल के इस शूरवीर का जन्म 15 जुलाई 1974 को नेरहेमा, कोहिमा ज़िला, नागालैंड में हुआ। पिछले वर्ष अपनी कोहिमा यात्रा के दौरान मेरा ये लक्ष्य था की मुझे कोहिमा से करीब 22 किलोमीटर दूर एक गांव “नेरहेमा” जाना है, जहां कारगिल युद्ध के अमर शहीद कैप्टेन केन्गुरसे का जन्म हुआ था। कारगिल युद्ध में अत्यंत असाधारण वीरता का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया था। नेरहेमा में उनकी शहादत को सदा सदा के लिए याद करता एक स्मारक बनाया गया है, जहां नमन करना मेरे लिए अत्यंत सौभाग्य की बात थी।
26 जून 1999 की वो रात को जब कारगिल युद्ध अपने चरम पर था, 16000 फ़ीट की ऊंचाई और तापमान था माइनस 16 डिग्री, जगह थी द्रास की “ब्लैक रॉक” नामक चोटी। 2 राजपूताना राइफल्स के शूरवीर दुश्मन पर जीत के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए मौत का सेहरा सर पर बांध तैयार बैठे थे। शत्रु के बंकर को तोड़ना अत्यंत आवश्यक हो गया था।
कैप्टेन केन्गुरसे ने इस खड़ी चट्टान पर चढ़ने के लिए अपने जूते खोल दिए ताकि शीघ्रता और सुगमता से चढ़ा जा सके। दुश्मन भयंकर गोलाबारी कर रहा था। ऊपर बैठा दुश्मन हमेशा फायदे की स्तिथि में होता है। पर हमारे सैनिकों के हौसले बुलंद थे। दुश्मन की गोलाबारी में घायल होने के बावजूद कैप्टेन केन्गुरसे ने अपनी बंदूक से दो पाकिस्तानियों को हलाक कर दिया और अपने कमांडो चाकू से दो अन्य पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतार कर अपनी पलटन की विजय सुनिश्चित की। पर स्वयं की जान भारत माता पर कुर्बान कर सेना की सर्वोच्च परम्पराओं का पालन किया।
कैप्टेन केन्गुरसे ने 1994 से 1997 तक कोहिमा में अध्यापन का कार्य किया। चाहते तो अपना जीवन सरलता व आराम से अपने क्षेत्र में जी सकते थे पर देश की सेना में जा कर देश की सेवा को प्राथमिकता दी।
ऐसे शूरवीर को मेरा शत शत नमन। जय हिन्द। देश के इस महान सपूत के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए आप मेरी Youtube Videos भी देख सकते है।