“कर्नल बलवान सिंह” की वीरता

20 वर्ष पूर्व कारगिल युद्ध अपने चरम पर था, तोलोलिंग की चोटी और 5140 और कुछ अन्य चोटियों को फतेह करने के बाद हमारी सेना के जवानों का हौसला बुलंदी पर था। तीन जुलाई को निर्णय हो गया की अब टाइगर हिल पर हर हाल में कब्ज़ा करना ही है। टाइगर हिल हमारे गौरव व स्वाभिमान का प्रतीक रही है। श्रीनगर कारगिल के हाइवे एन एच 1 ए से निकलते हुए इसका रूप विस्मित कर देता है। 16500 फ़ीट की ऊंचाई इसको अलग ही छटा प्रदान करती है। एकबारगी तो इस पर से नज़र हटाना ही मुश्किल हो जाता है। इसकी नैसर्गिक सुंदरता मन को मोह लेती है।

पाकिस्तान के कब्ज़े में होने हम सभी भारतीयों के मन में टीस पैदा कर रहा था। इसको हर हाल में पुनः हासिल करना ही हमारे मन को संतोष प्रदान कर सकता था। टाइगर हिल पर कब्ज़े के लिए एक युक्ति सोची गई की इस पर पीछे से हमला किया जाए क्योंकि पीछे से हमला करना लगभग नामुमकिन था और दुश्मन ये कल्पना भी नही कर सकता था की भारत के वीर जवान यहाँ से आने का सोच भी सकते हैं।
पर भारतीय सेना की 18 ग्रेनेडियर रेजिमेंट की घातक प्लाटून के जांबाज़ सैनिक असंभव को संभव करने के प्रयास में लग गए थे। इसके अलावा अन्य रास्तों से भी दूसरी पलटनों को लगाया गया जिसमे 2 नागा और 8 सिख शामिल थी। शून्य से 15 डिग्री नीचे के तापमान में दुश्मन को खदेड़ना वो भी जब वो ऊपर बैठा हो और हम नीचे हों। ऐसे हालात में ऊपर बैठा एक दुश्मन नीचे बैठे दस लोगों के बराबर होता है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में लड़ना और विजय हासिल करना किसी चमत्कार से कमतर नही है। लेकिन जहां हिन्द की सेना के वीर जवान वीर जवान खड़े हो जाएं तो असंभव भी संभव हो जाता है।

इसकी फ़तेह में जो बमबारी हमारी तोपों, विशेषकर बोफोर्स, ने की उसको भुलाया नही जा सकता।

तीन जुलाई को घातक प्लाटून का नेतृत्व लेफ्टिनेंट बलवान सिंह (अब कर्नल) को सौंपा गया उन्होंने अपने खाने का सामान को छोड़ दिया और उतने ही भार की गोलियां रख लीं जो वो दुश्मन की छाती में उतार देने को बेताब थे। बलवान सिंह जी को दो गोलियां आन लगी पर फिर भी उन्होंने युद्ध क्षेत्र को छोड़ने से मना कर दिया और निरंतर अपने साथियों का मनोबल बढ़ाते रहे और वहीं डटे रहे। उन्हें इस अदम्य साहस और अति असाधारण वीरता के प्रदर्शन के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। इन्होंने अपने साथियों के साथ मिल कर भारत को इस अत्यंत महत्वपूर्ण युद्ध में विजय दिलवा कर टाइगर हिल पर तिरंगा फहरा दिया।

पिछले रविवार भारत माता के वीर सपूत से मुझे मुलाकात का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मिलकर अत्यंत प्रसन्नता हुई।

आज समस्त राष्ट्र इस महावीर को श्रद्धा पूर्वक नमन करता है और ईश्वर से प्रार्थना है इनको लंबी आयु व स्वस्थ जीवन प्रदान करें।

जय हिंद।

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