20 वर्ष पूर्व कारगिल में हमारे सैनिक अपनी जान की बाज़ी लगा कर दुश्मन को मुँह तोड़ जवाब दे रहे थे. टाइगर हिल पर पुनः कब्जे के लड़ाई जो 3 जुलाई 1999 को शुरू हुई वो 4 जुलाई को भी चालू रही। 4 जुलाई को भारत माता का एक शूरवीर ऐसा भी था जिसका शरीर 14 गोलियां लगने से छलनी हो चुका था पर आत्मा अभी भी जीवित थी और ज़ुबान पर ‘भारत माता की जय’ का उद्घोष था। इस वीर का नाम है, सूबेदार मेजर योगेंदर सिंह यादव।19 वर्ष की आयु में इतना साहस और वीरता उनको ईश्वर की विशेष देन ही कहेंगें।
इसी अदम्य साहस और अभूतपूर्व वीरता का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। आज समय है उनके शौर्य को नमन करने का। टाइगर हिल के सौंदर्य से मैंने आपको अपने कल के ब्लॉग में रूबरू करवाया था। टाइगर हिल हमारे गौरव व स्वाभिमान का प्रतीक रही है। श्रीनगर कारगिल के हाइवे एन एच 1 ए से निकलते हुए इसका रूप विस्मित कर देता है। 16500 फ़ीट की ऊंचाई इसको अलग ही छटा प्रदान करती है। एकबारगी तो इस पर से नज़र हटाना ही मुश्किल हो जाता है। इसकी नैसर्गिक सुंदरता मन को मोह लेती है।
पाकिस्तान के कब्ज़े में होने हम सभी भारतीयों के मन में टीस पैदा कर रहा था। इसको हर हाल में पुनः हासिल करना ही हमारे मन को संतोष प्रदान कर सकता था। टाइगर हिल पर कब्ज़े के लिए एक युक्ति सोची गई की इस पर पीछे से हमला किया जाए क्योंकि पीछे से हमला करना लगभग नामुमकिन था और दुश्मन ये कल्पना भी नही कर सकता था की भारत के वीर जवान यहाँ से आने का सोच भी सकते हैं।
पर भारतीय सेना की 18 ग्रेनेडियर रेजिमेंट की घातक प्लाटून के जांबाज़ सैनिक असंभव को संभव करने के प्रयास में लग गए थे। इसके अलावा अन्य रास्तों से भी दूसरी पलटनों को लगाया गया जिसमे 2 नागा और 8 सिख शामिल थी। शून्य से 15 डिग्री नीचे के तापमान में दुश्मन को खदेड़ना वो भी जब वो ऊपर बैठा हो और हम नीचे हों। ऐसे हालात में ऊपर बैठा एक दुश्मन नीचे बैठे दस लोगों के बराबर होता है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में लड़ना और विजय हासिल करना किसी चमत्कार से कमतर नही है। लेकिन जहां हिन्द की सेना के वीर जवान वीर जवान खड़े हो जाएं तो असंभव भी संभव हो जाता है।
योगेंद्र सिंह यादव जी के बहादुरी के किस्से तो आपने सुने ही होंगे। बुरी तरह ज़ख्मी और शरीर में 14 गोलियां झेलने के बावजूद उन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया और अपने कंपनी कमांडर लेफ्टिनेंट बलवान सिंह जी को दुश्मन के अगले कदम की महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया करवाई।
अत्यंत घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां गलती से उन्हें शहीद घोषित कर दिया। योगेंद्र सिंह जी आजकल सूबेदार मेजर के पद पर सुशोभित हैं और हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड का प्रमुख हिस्सा होते हैं। ईश्वर से कामना है इनको लंबी आयु व स्वस्थ जीवन प्रदान करें और ये इसी प्रकार से भारत माता की सेवा करते रहें। जय हिन्द।