तेज़ तर्रार यौद्धा -“पेशवा बाजीराव”

आज भारत के इतिहास के सबसे सफल, चर्चित, शूरवीर और तेज़ तर्रार यौद्धा की 319वीं जन्म जयंती है, जिनका नाम है, पेशवा बाजीराव। इनका जन्म 18 अगस्त 1700 को महाराष्ट्र के सिन्नर नामक स्थान पर हुआ था। इस मराठा यौद्धा ने अपने जीवन काल में 41 युद्ध लड़े और हर युद्ध में विजय हासिल की। छत्रपति शिवाजी महाराज के हिन्दू स्वराज के स्वप्न को काफी हद तक पेशवा बाजीराव ने सम्पूर्ण किया।

ये भी माना जाता है की पेशवा बाजीराव से कुशल घुड़सवार आज तक सम्पूर्ण भारत वर्ष के सैनिक इतिहास में नही हुआ है। ब्रिटिश सैन्य अधिकारी व इतिहासकार जनरल मांटगुमरी ने अपनी पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ वॉर फेयर” में बाजीराव की बिजली से भी तेज गति वाली युद्ध शैली का लोहा माना है।

ऐसे शूरवीर को हम कभी विस्मृत नही कर सकते।

अपने राज में ही इन्होंने पुणे में एक किले का निर्माण करवाया जिसका नाम शनिवार वाडा रखा गया। ये अपनी दूसरी पत्नी मस्तानी से अपने प्रेम प्रसंग को ले कर काफी चर्चा में रहे। आज पेशवा बाजीराव की जन्मजयंती पर आपको में ले कर चलता हूँ शनिवार वाडा और मस्तानी की कब्र पर।

शनिवार वाडा, महाराष्ट्र के पुणे में पेशवा बाजीराव का महल था और वहीँ पाबल में मस्तानी की कब्र या समाधी है. शनिवार वाडा का निर्माण 1732 में तत्कालीन मराठा सम्राट छत्रपति साहू जी महाराज के प्रधानमंत्री “पेशवा बाजीराव” के लिए उनकी देख रेख में किया गया. सात मंजिली इस इमारत पर उस समय 16,110 रूपए की लागत आई. शनिवार वाडा में प्रवेश के लिए पांच दरवाज़े हैं :-

दिल्ली दरवाज़ा
नारायण दरवाज़ा
मस्तानी दरवाज़ा
गणेश दरवाज़ा
खिड़की दरवाज़ा

पाबल की पुणे से दूरी करीब 60 किलोमीटर है. इसी स्थान पर बाजीराव की पत्नी मस्तानी की कब्र या समाधी है. मुसलमान इसी कब्र और हिन्दू इसे समाधी कहते हैं. मस्तानी एक वीर योधा ही नहीं अपितु अप्रतिम सौन्दर्य की मालकिन भी थीं. बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल की ईरानी पत्नी रूहानी बाई की पुत्री मस्तानी को इतिहास हमेशा याद रखेगा.

धन्यवाद संजय लीला भंसाली को जिन्होंने बाजीराव मस्तानी का निर्माण कर के पेशवा बाजीराव जैसे महान यौद्धा को आज की युवा पीढ़ी से रूबरू करवाया।

जब भी आप पुणे जायें तो शनिवार वाडा देखने अवश्य जाएं।

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