“मुरुदेश्वर”

बीते बुधवार को उत्तर पश्चिम कर्नाटक के “मुरुदेश्वर” जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

यहां शंकर भगवान की 123 फ़ीट की प्रतिमा है जो भारत में सबसे ऊँची है और विश्व में दूसरी। अरब सागर के तट पर बने इस मंदिर का संबंध रावण से भी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण जब आत्मलिंग ले कर लंका की ओर जा रहा था तब संध्या पूजन की वजह से रावण ने इसे एक बालक को पकड़ा दिया, उस बालक ने आत्मलिंग को धरती पर रख दिया और फिर शर्त अनुसार इस आत्मलिंग को यहीं स्थापित करना पड़ा क्योंकि ईश्वर शायद यही चाहते थे क्योंकि सूर्य को सुदर्शन चक्र से ढक दिया गया था जिसके कारण रावण को लगा की संध्या बेला हो गयी है और शिव भक्त होने के कारण संध्या बेला में शिव आराधना आवश्यक थी।

इस स्थान के अलावा मुझे ऐसे दो अन्य स्थान ज्ञात हैं जहां रावण द्वारा शिवलिंग स्थापित हुआ है वो दो स्थान हैं झारखंड में बैजनाथ और गुजरात में कोटेश्वर महादेव। हो सकता है इसके अलावा भी ऐसे कोई अन्य स्थान हो।

यहां का गोपुरम 241 फ़ीट ऊंचा है जो इसे भारत का सबसे ऊंचे गोपुरम का दर्जा प्रदान करता है। अरब सागर के तट पर ये भव्य प्रतिमा प्राकृतिक रूप से अत्यंत रमणीय स्थल है।

यहाँ जाने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गोआ का है जो यहां से मात्र 200 किलोमीटर है और सड़क मार्ग द्वारा यहां 5 घंटे में पहुंचा जा सकता है।

नजदीकी रेलवे स्टेशन मुरुदेश्वर है जो कि मुम्बई-मंगलोर रूट पर स्थित है।

हर हर महादेव।

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