महालक्ष्मी माता जी

आज दूसरा नवरात्र है, इस अवसर पर आपको मैं ले कर चल रहा हूँ महाराष्ट्र के कोल्हापुर जहां लक्ष्मी माँ आने विराट स्वरूप में विराजमान है।

एक बार मुझे किसी ने बताया की आप तिरुपति निरंतर जाते हैं तो क्या आप कभी महालक्ष्मी माता, जो की कोल्हापुर महाराष्ट्र में है, कभी गए हैं??? ये बात सन 2010 के आस पास की रही होगी। मैंने जवाब दिया ‘नही’ में था, मैंने कहा, शायद अभी बुलावा आया नहीं है। उस सज्जन ने बताया की जो एक बार तिरुपति बाला जी के दर्शन करके आता है उसे कोल्हापुर में महालक्ष्मी माता जी के दर्शन करना होता है।

तिरुपति निरंतर जाना होता रहा, फिर एक बार वर्ष 2017 में कोल्हापुर जाना निश्चित हो ही गया। दिल्ली से मुम्बई, सिद्धि विनायक जी को नमन किया और फिर शाम को 17.30 बजे सह्याद्रि एक्सप्रेस पकड़ अगले दिन सुबह 6 बजे हम कोल्हापुर पहुंच गए। स्टेशन का नाम छत्रपति शाहू जी महाराज टर्मिनल रखा गया है। शाहू जी महाराज 1900 से 1922 तक कोल्हापुर रियासत के राजा थे। इनका संबंध मराठा के भोंसले राजवंश से था।

होटल में तैयार हो कर हम महालक्ष्मी माता जिन्हें यहां इन्हें अंबाबाई भी कहा जाता है। पंचगंगा नदी के तट पर बने इस मंदिर का हिन्दू धर्म में विशेष स्थान है। इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था। अगर आप कभी वैष्णों देवी गए हैं तो आपको मालूम ही होगा की वहाँ वैष्णों देवी तीन पिंडियों के रूप में विराजित हैं जो महाकाली, महालक्ष्मी और महा सरस्वती का शाश्वत स्वरूप हैं। अलग से देखें तो महाकाली कोलकाता में, महालक्ष्मी कोल्हापुर में और महा सरस्वती मध्य प्रदेश के मैय्यर में विराजमान हैं।

कोल्हापुर आने के लिए आप पुणे से भी आ सकते हैं जो यहां से मात्र 230 किलोमीटर की दूरी पर है।

माता जी मुख्य मूर्ति काले पत्थर से निर्मित है जिसकी चार भुजाएं हैं और ऊंचाई लगभग 3 फ़ीट की है।

रोज़ाना देश विदेश से हज़ारों तीर्थ यात्री यहां आशीर्वाद लेने आते हैं। तो आप कब जा रहे हैं महालक्ष्मी माता के दर्शन करने।

जय माता दी।

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