सातवें नवरात्र की पुण्य बेला पर आज मैं सीरीज के अंतगर्त आपको एक ऐसी शक्ति पीठ के दर्शन करवाऊंगा जो महा सरस्वती माँ की महा शक्ति पीठ है। जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैय्यर में स्थित शारदा माँ की। विद्या और ज्ञान की दाती माँ शारदा का आशीर्वाद जिस मनुष्य को प्राप्त हो गया उसका तो जीवन ही तर जाता है।
इस शक्ति पीठ के दर्शन मुझे किसी आलौकिक शक्ति से ही संभव हो पाए, क्योंकि जिस दिन हम मैय्यर पहुंचे वहाँ इतनी भारी बरसात हो रही थी, की पूरा का पूरा मैय्यर शहर पानी में लगभग डूब चुका था।
मिर्ज़ापुर से हावड़ा-मुम्बई गाड़ी द्वारा लगभग पांच घंटो में हम मैय्यर थे। प्लेटफार्म पर ज़बरदस्त पानी बह रहा था और भारी बरसात भी हो रही थी। स्टेशन मास्टर ने बताया की स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में घुटने घटने पानी है और कमोबेश यही स्थिति पूरे शहर की है, आज आपका मैय्यर में शारदा माता के दर्शन करना संभव नही है।
ये सुनते ही हम सभी मित्रों का दिल भारी हो गया और मन ही मन हम सभी ने माँ को पुकार लगाई की माँ यहां तक पहुंचा कर भी तूने दर्शन नही दिए तो इससे बड़ा दुर्भाग्य हो नही सकता।
मन ये स्वीकार करने को तैयार नही था की माँ हमें दर्शन नही देगी। हम सभी ने माँ का जय कारा लगाया और फिर हमने अपना कीमती सामान, पर्स, मोबाइल, इत्यादि रेलवे के विश्राम गृह में छोड़ निकल पड़े। केवल राजू भैया ने चंद रुपये और एक मोबाइल पन्नी में लपेट कर रख लिया।
अपने पायजामे और पैंटो को घुटने तक चढ़ा लिया और देखा स्टेशन के बाहर निकलना ही भारी चुनौती थी क्योंकि पानी घुटने घुटने तक था। पर माँ का आशीर्वाद हो तो सब संभव हो ही जाता है। किसी तरह पूरी तरह से भीगते हुए बाहर मैन रोड पर आये तो एक ऑटो मिल ही गया जिसने हमें माँ के मंदिर के बेस पर छोड़ दिया। आगे भी किसी तरह चल कर हम मुख्य मंदिर पहुंच ही गए। यहाँ मैं आपको बता दूं के नीचे से ऊपर पहाड़ पहाड़ पर बने मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग आधा घंटे का वक़्त लगता है। सड़क और सीढ़ियों के मार्ग द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है। अब तो यहां रोप वे की सुविधा भी उपलब्ध है। सीढ़ियों की कुल संख्या 1063 है।
मुख्य मंदिर की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 600 फ़ीट है जो की त्रिकुटा पर्वत में बना हुआ है। ये स्थान आल्हा और ऊदल नाम के दो भाइयों के लिए भी प्रसिद्ध है ये दोनों भाई माँ शारदा के अनन्य भक्त थे। कथा तो ये भी है कि आज भी कपाट खुलने से पहले इन दोनों भाइयों की आत्मा यहाँ पूजन के लिए आती है।
माँ सरस्वती के इस पुण्य पावन स्थल पर नवरात्रों में बड़ा मेला लगता है, जहां पूरे भारत वर्ष, विशेषकर, मध्य प्रदेश से लाखों लोग यहां पहुंचते हैं। हमने भारी बारिश में किसी तरह माँ के दर्शन किये और वापिस स्टेशन की ओर रुख कर लिया। वापिस पहुंच कर जब स्टेशन मास्टर को बताया की हम दर्शन कर आएं हैं तो उन्हें हमारी बात पर यकीन ही नही हुआ। मेरे जीवन के सबसे चुनौती पूर्ण शक्ति पीठ के दर्शन यहीं हुए, पर हाँ, माँ ने लाज रख ली और अत्यंत आनंद व संतोष की अनुभूति हुई।
जय माता दी।