महान क्रांतिकारी को ऋणी राष्ट्र कि ओर से शत शत नमन।

आज एक महान क्रन्तिकारी श्याम जी कृष्ण वर्मा की जन्म जयंती है। उनका जन्म आज ही के दिन 1857 में गुजरात के मांडवी में हुआ था।

आज मैं आपको ले कर चलूँगा कच्छ ज़िले के मांडवी क्षेत्र में बने “क्रांति तीर्थ” पर जहाँ स्वतन्त्रता सेनानी श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा के जन्मस्थान पर उनका एक विशाल स्मारक बना हुआ है। फरवरी 2016 और जनवरी 2020 में मुझे यहाँ नमन् करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा ने लन्दन में इण्डिया हाउस की स्थापना की जो इंग्लैण्ड जाकर पढ़ने वाले भारतीय छात्रों का मुख्य केंद्र था जहाँ वो मिल कर विचार विमर्श करते और भारत की आज़ादी पर परस्पर योजनाएं बनाते रहते । इस तरह से वर्मा जी स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए निरंतर कार्य करते रहे। उनके सहयोगियों में वीर सावरकर, मदन लाल ढींगरा, भीकाजी कामा आदि क्रन्तिकारी प्रमुख रहे। श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा का देहान्त वर्ष 1930 में जिनेवा में हुआ, पर उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को केवल आजाद भारत मे ही ले जाया जाए। 22 अगस्त 2003 में भारत की स्वतन्त्रता के 55 वर्ष बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी, श्यामजी कृष्ण वर्मा और उनकी पत्नी भानुमती की अस्थियों को मांडवी ले कर आए और उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया गया। लंदन में जिस इंडिया हाउस मे वो रहा करते थे उसकी हुबहू ईमारत का निर्माण यहाँ किया गया है। कभी आप भी मांडवी जाएँ तो यहाँ शीश नवाने अवश्य जाएं।

इस महान क्रांतिकारी को ऋणी राष्ट्र कि ओर से शत शत नमन।

जय हिन्द

ऋषि राज

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